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यह हुरकट खांप की कुल माता है। जोधपुर के भैरू बाग तीर्थ परिसर में स्थापित बीस हत्थ माताजी की प्रतिमा 836 साल प्राचीन है। पूर्व में यह मूर्ति जालौर के स्वर्णगिरी दुर्ग में प्रतिष्ठित थी। भैरूं बाग तीर्थ परिसर में 141 साल पूर्व संवत 1930 ज्येष्ठ सुदी पंचमी को माता प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया गया। प्रतिमा में माता के वाहन केसरीसिंह का मुंह विपरीत दिशा में तथा माता के 20 हाथ होने के कारण बीसहत्थी माता कहा गया है। माता के मंदिर से जुड़ी अनूठी बात है कि ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण भी उल्टा किया जाता है। प्रतिमा के बायी ओर काले और दांयी ओर गौरे भैरव अपने वाहन श्वान सहित खड्ग लिये खड़े है। चरणों में महिषासुर है। नवरात्रा के दौरान मारवाड़ सहित देश के विभिन्न क्षेत्रो से कुल देवी के भक्त आते हैं। अष्टमी के दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते है। जोधपुर में माहेश्वरी भवन के अलावा यात्रियों के रूकने के लिये मन्दिर परिसर में एक धर्मशाला भी है। अनेको हॉल व धर्मशालायें हैं जहां ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। |