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यह रामावत, भानावत, सुगरा व कोठारी नख की कुल माता है। जागाजी से प्राप्त जानकारी के अनुसार सेवल्या मातजी का पुराना मन्दिर ओसियां पश्चिम दिशा में खोखरी नदी के पाल पर गुल बावड़ी के समीप सम्वत 1335 में निर्मित किया गया था। जो कालान्तर मे भूकम्प के झटको से जमीन में मिल गया। वर्तमान में स्थापित नवीन मन्दिर का शिलान्यास दिनांक 4 जून 2009 को अभिजीत मुर्हुत में ओसियां के समस्त सोनी भाईयो की उपस्थिति में पं. नन्दकिशोर एवं श्यामलाल ओझा द्वारा सम्पन्न कराया गया। तत्पश्चात दिनांक 6/8/2011 व 7/8/2011 को अखिल भारतीय सोनी भाइपा सम्मेलन का आयोजन ओसियां स्थित सच्चियाय माता अन्र्तराष्ट्रीय धर्मशाला में किया गया जिसमें पूरे भारत से करीब 3000 लोग शामिल हुए। सम्मेलन में समाज के जागाजी को भी आमन्त्रित किया गया। जागाजी ने पूराना सेवल्या माता का मन्दिरे का इतिहास सभी भाइपा के सामने रखा। जागाजी के द्वारा उल्लेखित सेवल्या माता का रूप, वाहन, शस्त्र आदि के अनुसार मां सेवल्या की मूर्ति बनवाई गयी। सवंत 2068 पौष सुदी पुर्णिमा दिनांक 27 जनवरी 2013 को अभिजीत मुहुर्त में माता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपूर्ण भारतवर्ष से पधारे सोनी भाइयो की उपस्थिति में बड़े भव्य रूप में की गयी। प्राण प्रतिष्ठा से पहले सात दिन देवी भागवत का आयोजन किया गया। ओसियां के माहेश्वरी मौहल्ले में स्थित यह मन्दिर भव्य पुरातन शैली मे बना है। मन्दिर के प्रांगण मे अष्ट खम्भ सभा मण्डप है। मन्दिर में एक पुराना शिवालय भी स्थित है। चारो नवरात्रि में मन्दिर में दैनिक अभिषेक होता है। चैत्र सुदी व आसोज सुदी नवरात्रि में जागरण एवं यज्ञ होता है। श्रावण मास में प्रतिदिन शिव अभिषेक भादवा मास में जन्माष्टमी एवं गणेश महोत्सव होता है। कार्तिक मास में अन्नकुट का आयोजन किया जाता है। मन्दिर समिति द्वारा समय समय पर कथा का आयोजन भी किया जाता है। ओसियां जोधपुर से 65 किमी की दुरी पर है जोधपुर से रेलमार्ग व सड़क मार्ग दोनो से ही सुगमता के साथ ओसियां पहुंच सकते हैं। |