श्री खींवज माता, पोकरण (जैसलमेर)


यह भूतड़ा खांप की कुलदेवी है। इसके अतिरिक्त चेचाणी, देवदत्तमानी, देवगट्टाणी, चौधरी तथा सर्राफ खांप वाले भी अपनी कुलदेवी मानते हैं।

माताजी का मन्दिर जैसलमेर जिले के गांव पोकरण के दक्षिण में 4किमी दर फलसुन्ड-बाडमेर रोड़ पर एक पहाडी पर शोभायमान है। मात्तेश्वरी की मूर्ति चट्टान के अन्दर से स्वयं जागृत रूप में प्रगट है जिसकी विशेष मनुष्य आकृति नहीं है। माताजी का स्वरूप बड़ा ही तेजस्वी व अत्यन्त ही चमत्कारी है।

मन्दिर पर लगा स्तम्भ राजा विक्रमादित्य कालीन है जिससे यह ज्ञात होता है कि मन्दिर आठवी शताब्दी से पहले का बना हुआ है। मुगल काल में औरंगजेब द्वारा इस मन्दिर को नष्ट करने का प्रयास करने पर माताजी के अद्भुत चमत्कार से भयतीत औरंगजेब ने पुन: निर्माण करवाया था। उस समय से यह ऐतिहासिक मन्दिर विद्यमान है। मन्दिर तक पक्की सड़क है।

मातेश्वरी को लाल वस्त्र लाल पुष्प व फलों में अनार अति प्रिय हैं। वर्ष में दो बार चैत्र शुक्ल पक्ष व आसोज शुक्ल पक्ष नवरात्रि में यहां मेला लगता है। नवरात्रि स्थापना पूजन व अखण्ड पाठ चलता है। अष्टमी को हवन होता है। रात्रि में सत्संग व जागरण के पश्चात नवमी के दिन महाप्रसादी का आयोजन किया जाता है।

मातेश्वरी मन्दिर की व्यवस्था अखण्ड ज्योत व पूजन सुचारू चलाने के लिये एवं मन्दिर का पूर्ण जीर्णोद्धार करवाने के लिये सन 1982 में एक संचालक मण्डल ट्रस्ट का गठन किया गया जिसे राज्य सरकार द्वारा पंजीकृत करवाया गया है।

मन्दिर में रहने ठहरने की अच्छी व्यवस्था है। पोकरण में रहने, ठहरने के लिये धर्मशालायें है।

यहां पहुंचने के लिये जोधपुर, जैसलमेर तथा रामदेवरा से बसे मिलती रहती है।

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