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यह जाजू, हेडा, टुवानी, खटोड, धूपड, समदानी, सिंगी, तुलावट्या, कियाल, जुजनोत्या, मालानी, टुवानी, गांधी खांप की कुल देवी है। माताजी का मन्दिर नागौर जिले के मेड़ता रोड में स्थित है। मन्दिर का निर्माण राजा नाहड राव परिवार द्वारा विक्रम संवत 1013 में किया गया। उसी दौरान एक तोरण द्वार यादगार के रूप में मन्दिर के बाहर बनवाया गया जो कि प्राचीन संस्कृति एवं कलात्मकता का एक अद्भुत नमुना था जो 9 चरणों में बंटा हुआ था। एक विशाल स्तंभ भी दिखाई देता था। उसकी उंचाई उस वक्त 85 फुट थी। बाद में इस तोरण द्वार का उपयोग विशाल दीप स्तम्भ के रूप में किया जाने लगा। आसपास के इलाके मे राजा महाराजा अपने किले के ऊपर खड़े होकर विशाल दुरबीनो की सहायता से नवरात्रि पर्व के समय माताजी की ज्योत के दर्शन करते थे जो इस तोरण के सबसे ऊपरी हिस्से पर दर्शन हेतु रखी जाती थी। इस मन्दिर मे नवरात्रि पर्व का आज भी अपना विशिष्ट स्थान है। वर्ष में 2 बार यहां नवरात्रि पर्व चैत्र बदी अमावस्या से प्रारम्भ होकर सपत्मी तक तथा आसोज बदी अमावस्या से सप्तमी तक चलता है। इस दौरान अमावस्या से लेकर छठ तक किसी भी प्रकार का भोग व प्रसाद माताजी को नहीं चढता। सप्तमी के दिन माताजी को भोग लगता है। मन्दिर में भारत के कोने कोने से यात्री व भक्त आते है और मां के दरबार में मन मांगी मुरादे पूरी पाते हैं। मन्दिर प्रांगण में ही ठहरने के लिये 15 कमरे बने हुए हैं, भोजन प्रसाद की अच्छी व्यवस्था है। जोधपुर से मेड़ता की दूरी 105 किमी, बीकानेर से मेड़ता 162 किमी, अजमेर से मेड़ता 95 किमी है। मन्दिर तक पहुंचने के लिये जोधपुर बीकानेर व अजमेर से रेलमार्ग या बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। फलौदी माताजी का एक मन्दिर कोटा जिले के रामगंज मण्डी स्टेशन के पास में भी है। |