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यह कलंत्री, कालाणी, गट्टानी, भन्साली, लाहोटी, पलोड़, तेला, मोदानी, सिकची, टावरी, खांप नख वालों की कुलमाता है। चावण्डा माता का मन्दिर जैसलमेर से 13 किमी. लिदरवा (जैन तीर्थ मन्दिर) के पास में है। (चुन्धी गांव में मन्दिर है) मन्दिर में ठहरने और रहने की व्यवस्था है। पुजारी श्री कानसिंह जसौड़ राजपूत हैं। बताते हैं श्री चवन ऋषि ने यहां पर तपस्या की। उनके नाम से कमरा बना हुआ है। मन्दिर में जनरेटर की सुविधा है। सुबह-शाम पूजा-अर्चना होती है। मन्दिर के पास में स्वयंभू गणेश जी का मन्दिर है, जो काक नदी (बरसाती नदी) में स्थापित है। मन्दिर के ऊपर हाल का निर्माण श्री हरिवल्लभ जी बुलाकी दास जी गोयदानी परिवार वालों ने श्रीमती तुलछीदेवी की स्मृति में कराया। टावरी, हुरका, मोहता, गोयदानी, असेरा, कुलधरिया खांप नख वाले कुल माता मानते हैं। |