भगवान गणेश: बुद्धि, समृद्धि, और विवेक का प्रतीक- डॉ. राधेश्याम लाहोटी

गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश की आराधना का महापर्व, भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, और यह पर्व ज्ञान, समृद्धि, और शुभता के प्रतीक भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश जी के रूप व काया में छिपा है जीवन के गूढ़ रहस्यों का संदेश, जो हमें विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और विवेक के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

भगवान गणेश का रूप: आध्यात्मिक संदेश -

भगवान गणेश का स्वरूप अपने आप में एक आदर्श प्रतीक है। उनका बड़ा सिर ज्ञान और विवेक का प्रतीक है, जो हमें बताता है कि जीवन में बुद्धि और ज्ञान का कितना महत्व है। उनकी छोटी आँखें एकाग्रता और ध्यान की शक्ति को दर्शाती हैं, जो हमें जीवन के हर पहलू में सजग रहने की प्रेरणा देती हैं। बड़े कान हमें सिखाते हैं कि जीवन में सुनने की कला कितनी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सही निर्णय लेने के लिए सही जानकारी का होना आवश्यक है।

गणेश जी की लंबी सूंड एक अन्य महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह सूंड लचीलेपन और विवेक का प्रतीक है, जो हमें यह संदेश देती है कि जीवन में हमें परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालना चाहिए और अपने विवेक का सही उपयोग करना चाहिए। 

गणेश जी की काया: एक सजीव प्रेरणा - 

भगवान गणेश का बड़ा पेट हमें सिखाता है कि हमें जीवन के हर अनुभव को, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, उसे सहजता से पचाना आना चाहिए। यह पेट हमें जीवन की विविधता और उसके उतार-चढ़ाव को स्वीकारने की शक्ति प्रदान करता है।

गणेश जी के चार हाथों में से एक हाथ में वे अंकुश धारण किए हुए हैं, जो इच्छाओं को नियंत्रित करने का प्रतीक है। दूसरे हाथ में पाश है, जो संसारिक बंधनों से मुक्ति का प्रतीक है। तीसरा हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है, जो उनके भक्तों को अभयदान देने का प्रतीक है, और चौथा हाथ मोदक लिए हुए है, जो जीवन की मिठास और संतोष का प्रतीक है।

गणेश चतुर्थी: जीवन के आदर्शों का प्रतीक- 

गणेश चतुर्थी न केवल भगवान गणेश की आराधना का पर्व है, बल्कि यह पर्व हमें उनके जीवन से जुड़े आदर्शों को आत्मसात करने की प्रेरणा भी देता है। गणेश जी की पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन में बुद्धि, विवेक, धैर्य और लचीलेपन का होना आवश्यक है। उनके आशीर्वाद से हम अपने जीवन में आने वाली हर चुनौती का सामना कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

इस गणेश चतुर्थी पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भगवान गणेश के आदर्शों का पालन करेंगे, अपने जीवन में समृद्धि, शांति और संतोष की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहेंगे। गणपति बप्पा मोरया!

डॉ. राधेश्याम लाहोटी, (ज्योतिष विशेषज्ञ, लेखक एवं विचारक) 

नोखा (बीकानेर) राजस्थान, मो.9414147238

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