शिक्षक दिवस पर हमें उन महान व्यक्तित्वों को स्मरण करने का अवसर मिलता है जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज में परिवर्तन की बयार चलाई है। शिक्षा न केवल ज्ञान का साधन है, बल्कि यह व्यक्तित्व निर्माण का भी प्रमुख आधार है। यह व्यक्ति के जीवन को दिशा देने के साथ-साथ समाज और राष्ट्र की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षक शिक्षा के माध्यम से समाज को नई दिशा देते हैं और बच्चों के भीतर समर्पण, अनुशासन और नैतिकता के बीज बोते हैं। एक शिक्षक केवल पाठ्यक्रम के ज्ञान तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वह अपने छात्रों को जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों से भी परिचित कराता है। यही कारण है कि शिक्षक को 'गुरु' का दर्जा दिया गया है, जो अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। वर्तमान समय में, जब शिक्षा का स्वरूप और विधियाँ निरंतर बदल रही हैं, तब भी शिक्षक की भूमिका अपरिवर्तनीय बनी हुई है। डिजिटल युग में भी शिक्षक का मार्गदर्शन और समर्थन छात्रों के लिए अनमोल है। शिक्षण के नए-नए तरीकों का उपयोग करते हुए, शिक्षक छात्रों को नवीनतम जानकारी और कौशल प्रदान करते हैं, जो उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा करता है। आज शिक्षक दिवस के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम शिक्षा को केवल रोजगार प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि समग्र व्यक्तित्व विकास का माध्यम बनाएँ। शिक्षा के माध्यम से हम समाज में समता, न्याय और सद्भावना की स्थापना कर सकते हैं। शिक्षा की इस महत्वपूर्ण यात्रा में शिक्षक का स्थान सबसे ऊँचा है। हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए। शिक्षक दिवस का यह पर्व हमें हमारे गुरुजनों की महानता का स्मरण कराता है और हमें शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है। अंत में, मैं उन सभी शिक्षकों को नमन करता हूँ जिन्होंने अपने ज्ञान और परिश्रम से समाज को नई दिशा दी है। शिक्षा का यह प्रकाश हमेशा हमारे जीवन को रोशन करता रहे, यही मेरी कामना है।
डॉ. राधेश्याम लाहोटी, (ज्योतिष विशेषज्ञ, लेखक एवं विचारक) नोखा (बीकानेर) राजस्थान, मो.9414147238
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