जीवन में हर पल का आनंद लें
जीवन का उद्देश्य इसे जीना है ना की काटना और इसके साथ आने वाले हर पल का आनंद लेना है। जिंदगी किसी एडवेंचर से कम नहीं है। इसलिए जो दिन हमारे पास हैं उनका आनंद उठाएं क्योंकि हम नहीं जानते कि कल न जाने क्या होगा। इसलिए अपने जीवन में सब कुछ अनुभव करें।
हर दिन एक नया अनुभव देता है। ऐसे सोचें जैसे कि हमें आखिरी मौका मिला है और अपने जीवन का आनंद लें। भगवान ने एक खूबसूरत जिंदगी का तोहफा दिया है। तो इसका मज़ा ले और बस अपने आप से पूछें 'क्या मैं अपने जीवन का आनंद ले रहा हूं, या बस इसे खर्च कर रहा हूं। जिंदगी बहुत छोटी है, इससे नफरत लड़ाई झगड़े में बर्बाद मत करे। इसके हर पल का आनंद लेना शुरू करे, अधिक मुस्कुराएं, अपने सपनों के लिए जिएं। दूसरों से तुलना किए बिना अपने जीवन का आनंद लें। आजकल लोग परफेक्ट बनने में लगे हुए हैं। परफेक्ट होना बुरा नहीं है लेकिन मैंने आमतौर पर लोगों को गंभीर होते देखा है और इस सुंदर जीवन के आनंद और मस्ती से दूर होते देखा है। जब भी किसी से हालचाल पूछते है तो उसका उत्तर होता है जिन्दगी कट रही है ना की जिंदगी का आनंद ले रहे है।
भगवान ने हमारे जीवन को हमारी खुशी, प्यार और आनंद के लिए बनाया है। वह कभी नहीं चाहेंगे कि हम दुखी हों। हर समय खुशमिजाज और मददगार बने रहें। दुख के क्षणों में भी हमें शांति और प्रेम बिखेरना सीखना चाहिए। अपने चारों ओर खुशी की आभा से सजे, ऊर्जा के साथ मस्ती से चलें और बीच-बीच में मुस्कान और मस्ती से दूसरों को संक्रमित करते रहें। खुशी और आनंद के अपने व्यक्तित्व की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए हमेशा सहायक, पारदर्शी और ईमानदार रहें।
याद रखें कि समय असीमित है लेकिन एक समाप्त होने वाला संसाधन है। एक मिनट या घंटा एक बार चला गया तो कभी वापस नहीं आएगा। ऐसे जियो कि हर पल पूरे भविष्य के लिए एक मधुर स्मृति बना रहे और कभी भी पछतावे या पछतावे का कारण न बने। अपने जीवन को पूरी तरह से जियो और हमेशा मुस्कुराते रहो क्यूंकि कल हो ना हो कल की चिंता में आज खराब क्यूँ करे।
हम अक्सर अपने जीवन में चीजों को हल्के में लेने लगते हैं, जो हमारे दुख का कारण बन जाता है। कृतज्ञता हृदय की शुद्धता के साथ देने पर देने वाले और लेने वाले दोनों को अपार प्रसन्नता प्रदान करती है। एक साधारण सा 'धन्यवादÓ किसी स्थिति या रिश्ते को पूरी तरह से बदल सकता है। कृतज्ञता भी अभिवादन या भाव-भंगिमा के बदले की अपेक्षा के साथ नहीं होनी चाहिए। यदि हम कृतज्ञता और नि:स्वार्थ भाव से किसी को एक गिलास जल अर्पित करते हैं, तो उनमें निरंकार का सार देखकर वह आनंद और आनंद का कारण बन जाता है। उपहार देना, साझा करना और देखभाल करना अत्यंत उदात्त और रमणीय कार्य हैं। इस तरह की भेंट सेवा, नि:स्वार्थ सेवा बन जाती है। जैसे सूर्य, नदियाँ, वृक्ष, पृथ्वी और वायु, सभी बिना किसी अपेक्षा के हमें निरंतर अपने संसाधन प्रदान करते रहे हैं। लेकिन हम इंसान स्वार्थी हो जाते हैं और हमारे पास जो कुछ भी है उसका थोड़ा सा भी दान करते हुए शर्तों को लागू करते हैं और बदले में बहुत अधिक की उम्मीद करते हैं। यही हमारे दु:ख का कारण बन जाता है।
हमें खुश रहने और अपने जीवन का आनंद लेने के लिए कल की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। जीवन का आनंद लेने के लिए अधिक धनवान, अधिक शक्तिशाली होने की भी आवश्यकता नहीं है। जीवन इस समय है, इसका पूरा आनंद लेना चाहिए। खुश रहने के लिए कुछ पाने की दरकार नहीं होती। अपने जीवन में खुशियां लाने के लिए दूसरों से तुलना छोड़कर हर परिस्थिति में वर्तमान का आनंद लेना शुरू कर देना चाहिए।
सवाल ये आता है कि हमें जीवन में क्या चाहिए? नियमित मोटी आमदनी, बड़ा-सा मकान, बड़ी गाड़ी और क्या? और खुशी? खुशी, पैसा रहेगा, तो खुशी अपने आप आ जाएगी...। ज्यादातर लोग ऐसा ही सोचते हैं। पर सच यह है कि यह पूरी तरह सही नहीं है। धन-संपदा आने के बाद भी खुशी नहीं आ पाती। अगर पैसे से ही खुशी खरीदी जा सकती तो डिप्रेशन को 'अमीरों की बीमारीÓ नहीं कहा जाता। तब खुशहाली की सूची में भूटान जैसे गरीब देश शीर्ष पर नहीं होते। फिर कैसे आ सकती है खुशी? ज्यादातर लोगों के दुखी रहने की वजह क्या होती है? क्या है दुख की वजह दरअसल, ज्यादातर लोग इसलिए दुखी रहते हैं, क्योंकि उनका जीवन तमाम तरह की समस्याओं से घिरा होता है। अगर नौकरी करते हैं तो महीने के अंत में पैसे के मामले में हाथ तंग हो जाता है। कोई इसलिए दुखी है कि मकान नहीं बनवा पा रहा, किसी की बेटी या बेटे की शादी नहीं हो रही, तो कोई इसलिए दुखी है कि उसके पास कार नहीं है और उसे लोकल ट्रेन या बसों में धक्के खाने पड़ते हैं, तो कोई अपने परिवार के किसी सदस्य की बीमारी की वजह से परेशान है। सवाल उठता है कि जीवन में इतनी समस्याओं के होते हुए लोग खुश कैसे रहें? 'अगर आप किसी समस्या से परेशान हैं तो उसके बारे में गहराई से चिंतन कीजिए कि क्या वह समस्या हल हो सकती है? अगर हां में उत्तर आता है, तो फिर चिंता किस बात की। आप उसे हल करने का प्रयास कीजिए। लेकिन अगर चिंतन में आपको लगता है कि वह समस्या हल ही नहीं हो सकती, तब भी चिंता किस बात की? चिंता करने से समस्या हल तो नहीं हो जाएगी।Ó ज्यादातर लोग दुखी इसलिए भी रहते हैं, क्योंकि वे अपने जीवन का विश्लेषण करते वक्त दूसरों से उसकी तुलना करते हैं। उन्हें अपना धन-संसाधन कम लगता है। हमेशा कोई न कोई ऐसा उदाहरण मिल जाता है, जो उनसे ज्यादा धनी होता है, जिसके पास उनसे बड़ी कार होती है। संसाधन जुटाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने में कोई बुराई नहीं हैं। धन और तमाम भौतिक चीजें जुटाने और उनका उपभोग करने में भी कोई बुराई नहीं, सवाल बस इतना है कि यह सब करते हुए भी अपने मौजूदा जीवन से खुश कैसे रहें?
हमें कितना पैसा मिल जाए तो आप खुश रहेंगे? इस सवाल पर ज्यादातर लोग ऐसी सोच रखते हैं कि अपना मकान हो जाए या बिटिया की शादी एक अच्छे खानदान में हो जाए या बच्चो को अच्छी नौकरी मिल जाए या बेटे-बेटी का इंजीनियरिंग/मेडिकल में सलेक्शन हो जाए, उसके बाद ही घर में असली खुशी आएगी। पर असली खुशी ऐसे लोग अपने घर में कभी नहीं ला पाते, क्योंकि उन्होंने खुशी के लिए तमाम शर्तें और बंदिशें लगा रखी हैं और किसी न किसी बात पर दुखी रहना उनकी आदत में शुमार हो चुका है। कुछ लोग सदाबहार दुखियारे होते हैं। कार, मकान, अच्छी नौकरी, संतान यानी सब कुछ होते हुए भी वे दुखी रहते हैं, क्योंकि किसी के पास उनसे बड़ी कार है, तो किसी की तुलना में उनका मकान छोटा है। ऐसे सदाबहार दुखियारे लोगों को खुश करना मुश्किल होता है। हम कितना भी पैसा क्यों न कमा लें, हमें एग्जाम में कितने भी अंक क्यों न हासिल कर लें, हमसे ज्यादा पैसा कमाने वाला या हमसे ज्यादा अंक लाने वाला कोई न कोई मिल ही जाता है। सोचिए, अगर कम पैसा कमाने वाले लोग दुखी रहने लगें, तो दुनिया में खुश रहने का अधिकार तो सिर्फ बिल गेट्स या मुकेश अम्बानी को ही होगा। बाकी लोगों को दुखी रहना चाहिए। अगर खुश रहना चाहते हैं तो यह समझना होगा कि खुशी कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे हम कहीं जाकर खरीद या उपभोग कर सकते हैं। यह तो हर क्षण प्यार, शिष्टता और कृतज्ञता के साथ जीने से मिलती है।
जीवन में खुशी इस बात से नहीं आती कि हमने कितना कुछ हासिल कर लिया, बल्कि खुशी इस बात से आती है कि हम उसे कितना महसूस करते हैं। जीवन में आनंद को कितनी जगह देते हैं। खुश रहने के लिए किसी अच्छे दिन का इंतजार न करें। हर दिन कुछ मिनट ऐसी चीजों के बारे में जरूर सोचें, जिनसे खुश हो सकते हैं। इन मिनटों में अपने जीवन के सकारात्मक पक्ष पर ध्यान केंद्रित करें और इनसे खुशहाल जीवन जीने में मदद मिलेगी। यदि कुछ गलत हो जाए तो किसी को दोषी ठहराने की जगह समाधान निकालने की कोशिश करें। पहले इस बात पर भरोसा करें कि खुशी पा सकते हैं। इसके बाद खुशी पाने की ओर बढ़ें। यह मानना छोड़ दें कि खुशी तो नसीब की बात होती है और यह सबको नहीं मिलती। सुखों के बिना भी खुश रह सकते हैं।
अध्यात्म कहता है कि बीतते हुए हर पल का आनंद लो, उस पल में रहो, हर पल को खुशी के साथ जियो। हर परिस्थिति, सुख-दु:ख, मान-सम्मान, लाभ-हानि से गुजरते हुए अपने में मस्त रहो।
अध्यात्म बड़ा सरल है। फिर भी लोग मन में कई भ्रांतियां पाल लेते हैं कि कहीं आध्यात्मिक होने पर घर छोड़कर संन्यास न लेना पड़ जाए, कहीं वैरागी न हो जाऊं, कहीं गृहस्थ धर्म न छोड़ दूं। अध्यात्म तो हमें जीवन जीना सिखाता है। जैसे कोई भी मशीन खरीदने पर उसके साथ एक मैन्युअल बुक आती है, ऐसे ही तन-मन को चलाने के लिए मैन्युअल बुक गीता आदि आध्यात्मिक शास्त्र और गुरु होते हैं, जो हमें शरीर, इन्द्रियों, मन, बुद्धि, अहंकार का प्रयोग करना सिखाते हैं। घर-गृहस्थी में तालमेल बिठाना सिखाते हैं, समाज में आदर्श के रूप में रहना सिखाते हैं। मन को सुलझाना सिखाते हैं। अत: धर्म कोई भी हो, लेकिन सभी को आध्यात्मिक अवश्य होना चाहिए।
हमें जीवन जीने का पूरा अधिकार है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपना जीवन कैसे जीते हैं। एक बार समय बीत जाने पर बीता हुआ समय कोई वापस नहीं ला सकता। जीवन का हर एक पल खास और मजेदार होता है।
कहते हैं कि जिन्दगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए, जिसका मतलब यह है कि जीवन का हर पल हमें ऐसे जीना चाहिए जैसे वह हमारे जीवन का आखिरी पल हो। क्योंकि मनुष्य का स्वाभाव है कि जब उसे यह पता चल जाता है कि उसके पास जो भी है वह उससे दूर नहीं जायेगा, तब धीरे-धीरे वह उसकी कदर करना बंद कर देता है और जैसे ही उसे उसके दूर जाने का एहसास होता है फिर से उसे पाने की इच्छा तीव्र हो जाती है। इसलिए हमें इस बात को स्वीकार कर लेना चाहिए कि मौत निश्चित है,और जीवन जो हम जी रहे हैं वह अनमोल है। इसके हर क्षण को हमें उत्स्व की तरह मनाना चाहिए।
इसलिए हमें अपने होंठों पर मुस्कान बनाये रखना चाहिए, जिन्दगी आज है इसके बारे में विचार कर इसके हर पल का आनंद लेना चाहिए। क्योंकि जिन्दगी एक सफर है सुहाना यहां कल क्या हो किसने जाना या यूँ कहें कि - ये जिन्दगी न मिलेगी दोबारा। इसलिए खुद भी खुश रहें और अपने आस-पास सबको ख़ुशी बाटतें रहें।
कोरोना महामारी से रूबरू कराने के लिए भगवान का धन्यवाद, उस समय हर पल ऐसा लगता था कि यह आखिरी है और इसने हम पर हर पल का पूरा आनंद लेने का अतिरिक्त दबाव डाला है। ये ऐसे समय होते हैं जब हम भविष्य के बारे में अनिश्चित होते हैं, और इसलिए, हमें वर्तमान में जीने की जरूरत है न कि भविष्य के बारे में सोचने की।
मैं बस इतना कहूंगा कि अपने जीवन का आनंद लो क्योंकि यह केवल एक बार मिलता है जीवन एक अनमोल उपहार है। कभी भी उसका एक अंश भी नकारात्मक या अप्रसन्न होकर बर्बाद न करें। आपको जो कुछ भी मिला है, उसे बेहतर बनाने की कोशिश करें।
जिंदगी किसी एडवेंचर से कम नहीं है। अपने बिस्तर से बाहर निकलो और इसे एक्सप्लोर करो।

राज करवा, बीकानेर मो 9799399704
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